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चतरा से सुनील सिंह को क्यों नही मिला टिकट ?

भाजपा के द्वारा रविवार को प्रत्याशियों की 5 वीं लिस्ट जारी करने की खबर के आने आने के साथ ही चतरा लोक सभा के लिए प्रत्याशी के नाम की चर्चा ने फिर से जोर पकड़ लिया था। सोशल मीडिया और अखबारों में भी कई नाम सामने आते रहे लेकिन सबसे चौकाने वाला नाम रहा चतरा से स्थानीय उम्मीदवार काली चरण सिंह का।
राज्य की राजनीति में वरिष्ठ भाजपा नेता होना , राजनीति का लंबा अनुभव , संगठन में दायित्व निर्वहन और देश व्यापी संपर्कों का लाभ यह सब उनके पक्ष में गया।
रविवार की शाम चतरा से सांसद सुनील सिंह ने एक्स हैंडल से अपने वेरीफाइड अकाउंट के माध्यम से संदेश देकर पहले ही संदेश दे दिया की टिकट की रेस में वह पीछे छूट गए है।
टिकट की ट्रेन में उनका बर्थ कन्फर्म नहीं हो पाया है।
अपने संदेश में उन्होंने शालीनता के साथ यह स्पष्ट भी कर दिया ।
उनके ट्वीट के बाद यह स्पष्ट हो गया की बीजेपी इस बार टिकट वितरण में जन भावना को दरकिनार करने के मूड में नहीं है।
पिछले दो लोक सभा चुनाव में पार्टी को जीत दिलाने वाले सुनील सिंह को तीसरी बार मौका नहीं देने के पीछे कई कारण है। इनमें एक बड़ा कारण है पार्टी का झारखंड में ओबीसी वोट बैंक पर अपनी पकड़ और मजबूत करना । विधान सभा चुनाव के दौरान अपना कोर वोट बैंक बचाए रखते हुए नए जातीय समीकरण बैठना । भाजपा ने इस बार धनबाद जैसे क्षेत्र में भी पारंपरिक राजनीति को बदलते हुए विधायक ढुल्लू महतो को मौका देते हुए कुडमी महतो वोट बैंक को भी साधने में कोई कसर नहीं रखी है।
आजसू पार्टी के द्वारा अभी तक गिरीडीह से कैंडिडेट का नाम नहीं घोषित करना भी इसी रणनीति का एक नया रूप है। इस सीट से भी कुछ चौंकाने वाला नाम सामने आए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

धनबाद लोक सभा में राजपूत जाति की जगह महतो प्रत्याशी का चयन जबकि चतरा से राजपूत प्रत्याशी की जगह भूमिहार जाति के प्रत्याशी का चयन स्पष्ट संदेश देता है कि पार्टी ने इस बार चतरा चौंकाता है । चतरा राजनीतिक प्रयोग की धरती है से परहेज करते हुए जमीनी स्तर के नेता पर भरोसा करते हुए चतरा की सीट को सेफ करने का फैसला किया है।
हजारीबाग और पलामू में हुए विरोध और दुमका में प्रत्याशी को बदलना स्पष्ट करता है की अभी भी बीजेपी सभी सीटों पर जीत को लेकर आश्वस्त नहीं है इस लिए समय रहते बदलाव से गुरेज भी नहीं कर रही है।
चतरा की जनता की भावना और पार्टी को एजेंसियों से मिले फीड बैक में यह स्पष्ट था की चतरा में इस बार अगर बीजेपी ने कोई नया प्रयोग किया तो उसे अपने स्वर्ण वोटों में बिखराव देखने को मिलेगा। इस लिए पार्टी ने अपने समर्पित और अनुभवी कार्यक्रता पर ही विश्वास जताया।।

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