कहा जाता है कि अफवाह फैलाना काफी आसान होता है और मामला अगर किसी बड़े संस्था से जुड़ा हो तो क्या कहने? ऐसा
ही एक मामला रामगढ़ के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित स्कूल राम चंद्रभान सरस्वती
विद्या मंदिर से देखने को मिला। सुबह सुबह स्कूल की बस तकनीकी कारणों से
दुर्घटनाग्रस्त हो गई। ना कोई हताहत नहीं हुआ और ना किसी को गंभीर चोटें आई है। बस
में बैठे कुछ बच्चों को हल्की फुल्की खरोंचें आई हैं। इसके बाद जिस तरह से इस
दुर्घटना का विकराल रूप दिखाने की कोशिश की जा रही है सच्चाई उससे बिल्कुल अलग है,
पत्रकारों की भाषा में कहें तो अफवाहों का बाज़ार गर्म है।
अफवाहों के बाज़ार में कौन कौन से पकवान हैं ?
कुछ लोगों का कहना है कि कई बचे घायल हैं, कुछ लोगों का कहना है कि बस में
क्षमता से अधिक लोग सवार थे, कुछ कह रहे हैं बस में 50 बच्चे सवार थे वहीँ कुछ लोग
70 बच्चों का दावा कर रहे हैं। कुछ का कहना है बस की हालत जर्जर थी इसीलिए
दुर्घटना हुई। कोई बस के टायर दिखा कर बस के हालत का अंदाजा लगाने की कोशिश कर रहा
है।
यह तो रही एक पक्ष की बात लेकिन असलियत क्या है ?
मामला यह है कि रामगढ़ में समाहरणालय के पास अचानक एक स्कूल बस की पत्ती टूट जाने
से बस अनियंत्रित होकर गड्ढे में जाकर पलट गई। इस घटना के बाद आसपास के क्षेत्र
में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। इस बस में मात्र 32 बच्चे सवार थे। इस पूरे घटनाक्रम
में गाड़ी के ड्राइवर और उनके सहायक की बच्चों को बचाने में सराहनीय भूमिका रही। इस
घटना के बाद तुरंत स्थानीय लोगों और बस ड्राइवर खलासी ने मिलकर उन बच्चों को सही
सलामत बस के बाहर निकाला।
इसकी सूचना जैसे ही स्कूल और अन्य अभिभावकों को मिली सभी लोग विद्यालय अपने
बच्चों से मिलने के लिए पहुंचे। कुछ लोगों ने अपने बच्चे को सही सलामत देख खुश हुए
और कुछ लोगों ने स्कूल के बाहर हंगामा शुरू कर दिया। लोगों ने स्कूल पर आरोप लगाना
शुरू कर दिया कि स्कूल बस का सही से रखरखाव नहीं हो रहा था इसलिए बस
दुर्घटनाग्रस्त हो गई है। इसमें हंगामा करने वालों में ऐसे भी कई लोग देखे गए
जिनके बच्चे स्कूल में पढ़ते ही नहीं थे। इसका मतलब आप भी समझ सकते हैं कि छोटी सी
घटना को बड़ी घटना बताने के लिए इतनी भीड़ जुटी थी या फिर यूं कहें जुटाई गई थी।
हालांकि इस पूरे मामले में जिस तरह से यह दुर्घटना घटी इसमें कोई संशय नहीं की
घटना और भी अधिक भयावह और भयानक घट सकती थी, लेकिन सच्चाई यही है कि नही घटी।
पूरे मामले की पड़ताल में उसी बस में बैठी स्कूल के सातवीं कक्षा की बच्ची
अंशिका ने बताया कि छत्तर से बस आ रही थी और अचानक बस में एक आवाज आई और बस
अनियंत्रित होकर झाड़ियों में घुसकर पलट गई। उसने बताया कि बस में मात्र 32 बच्चे ही सवार थे और
उनमें से किसी को भी गंभीर चोटें नहीं आई है। हालांकि उसने यह जरूर बताया कि कुछ
बच्चों को हल्की-फुल्की खरोच आई है, लेकिन सब सुरक्षित हैं।
अब सवाल यह उठता है कि किसी भी स्कूल बस के तकनीकी गड़बड़ी का जिम्मेदार कौन
होना चाहिए? हालांकि स्कूल प्रबंधकों ने बताया कि कुछ दिन पहले ही सभी बसों को मेंटेनेंस
के लिए गेराज में भेजा गया था। जो भी मरम्मत के काम से उसे करा लिए गए थे। इस पूरे
प्रकरण में बार-बार बस के टायर की तस्वीर दिखा कर यह बताने का प्रयास किया जा रहा
है कि स्कूल बस की स्थिति ठीक नहीं थी। अब फिर से यह सवाल उठता है कि क्या
दुर्घटना उस टायर की वजह से हुई थी या फिर स्कूल बस की पत्ती टूटने की वजह से हुई
थी।
स्कूल के प्रबंधकों ने इस पूरे प्रकरण में यह भी कहा कि उनके द्वारा स्कूल के
बच्चों की सुरक्षा को लेकर हर कदम उठाए जा रहे हैं। उनके द्वारा यह भी सुनिश्चित
की जाएगी कि इस तरह की घटना भविष्य में दोबारा घटित ना हो।
सुनें बस में सवार सातवीं कक्षा की बच्ची अंशिका का बयान !
राष्ट्र समर्पण एक राष्ट्र हित में समर्पित पत्रकार समूह के द्वारा तैयार किया गया ऑनलाइन न्यूज़ एवं व्यूज पोर्टल है । हमारा प्रयास अपने पाठकों तक हर प्रकार की ख़बरें निष्पक्ष रुप से पहुँचाना है और यह हमारा दायित्व एवं कर्तव्य भी है ।