Mon. Sep 16th, 2024

भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी

स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए अंग्रेजों से लड़ने से लेकर भारत के पहले राष्ट्रपति बनकर देश संभालने तक डॉ. राजेंद्र प्रसाद जी का अविस्मरणीय योगदान है. भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की आज 134वीं जयंती है. उनका जन्म 03 दिसंबर, 1884 को बिहार के सीवान जिले के जीरादेई गांव में हुआ था. तमाम अभावों के बावजूद उन्होंने शिक्षा ली, कानून के क्षेत्र में डाक्टरेट की उपाधि भी हासिल की. राजेंद्र प्रसाद ने वकालत करने के साथ ही भारत की आजादी के लिए भी संघर्ष किया. डॉ. राजेंद्र प्रसाद अत्यंत दयालु और निर्मल स्वभाव के व्यक्ति थे. देश और दुनिया एक विनम्र राष्ट्रपति के रूप में उन्हें याद करती है.
राजेंद्र प्रसाद के पिता महादेव सहाय फारसी और संस्कृत, दोनों भाषाओं के विद्वान थे. उनकी माता कमलेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थीं. वह अपने बेटों को ‘रामायण’ की कहानियां सुनाया करती थीं. उस समय शिक्षा की शुरुआत फारसी से की जाती थी. प्रसाद जब पांच वर्ष के हुए, तब माता-पिता ने उन्हें फारसी सिखाने की जिम्मेदारी एक मौलवी को दी. इस प्रारंभिक पारंपरिक शिक्षण के बाद उन्हें 12 वर्ष की अवस्था में आगे की पढ़ाई के लिए छपरा जिला स्कूल भेजा गया. उसी दौरान किशोर राजेंद्र का विवाह राजवंशी देवी से हुआ. बाद में वे अपने बड़े भाई महेंद्र प्रसाद के साथ पढ़ाई के लिए पटना चले गए, जहां उन्होंने टी.के. घोष अकादमी में दाखिला लिया. इस संस्थान में उन्होंने दो साल अध्ययन किया. साल 1902 में कोलकाता विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में उन्होंने पहला स्थान प्राप्त किया. इस उपलब्धि पर उन्हें 30 रुपये की स्कॉलरशिप पढ़ाई करने के लिए मिलती थी.
वर्ष 1915 में राजेंद्र बाबू ने कानून में मास्टर की डिग्री हासिल की और इसके लिए उन्हें स्वर्ण पदक मिला था. कानून में ही उन्होंने डाक्टरेट भी किया. वे हमेशा एक अच्छे छात्र के रूप में जाने जाते थे. उनकी एग्जाम शीट को देखकर एक एग्जामिनर ने कहा था कि ‘The Examinee is better than Examiner’ (परीक्षक से परीक्षार्थी बेहतर है) कानून की पढ़ाई करने के बाद वकील बने राजेंद्र प्रसाद भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के दौरान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए और बिहार प्रदेश के बड़े नेता के रूप में उभरे.
महात्मा गांधी के समर्थक राजेंद्र प्रसाद को ब्रिटिश प्रशासन ने 1931 के ‘नमक सत्याग्रह’ और 1942 के ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान जेल में डाल दिया था.1950 में जब भारत गणतंत्र बना, तो प्रसाद को संविधान सभा द्वारा पहला राष्ट्रपति बनाया गया. बतौर ‘महामहिम’ प्रसाद ने गैर-पक्षपात और पदधारी से मुक्ति की परंपरा स्थापित की. डॉ. प्रसाद ने 12 साल तक राष्ट्रपति पद पर रहते हुए देश की कमान संभाली. आजादी से पहले 02 दिसंबर 1946 को वे अंतरिम सरकार में खाद्य और कृषि मंत्री बने. 26 जनवरी 1950 को भारत को गणतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिलने के साथ राजेंद्र बाबू देश के प्रथम राष्ट्रपति बने. वर्ष 1957 में वह दोबारा राष्ट्रपति चुने गए.
प्रसाद भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के महान नेता थे और भारतीय संविधान के शिल्पकार भी. राष्ट्रपति पद पर रहते हुए उन्होंने कई देशों की सद्भावना यात्रा की. उन्होंने एटमी युग में शांति बनाए रखने पर जोर दिया था.
साल 1962 में राजेंद्र बाबू को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया. बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया और पटना के सदाकत आश्रम में जीवन बिताने लगे. 28 फरवरी, 1963 को बीमारी के चलते उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. भारतीय राजनीति के इतिहास में उनकी छवि एक महान और विनम्र राष्ट्रपति की है. पटना में प्रसाद जी की याद में ‘राजेंद्र प्रसाद संग्रहालय’ का निर्माण कराया गया.

 राष्ट्र समर्पण  

Website | + posts

राष्ट्र समर्पण एक राष्ट्र हित में समर्पित पत्रकार समूह के द्वारा तैयार किया गया ऑनलाइन न्यूज़ एवं व्यूज पोर्टल है । हमारा प्रयास अपने पाठकों तक हर प्रकार की ख़बरें निष्पक्ष रुप से पहुँचाना है और यह हमारा दायित्व एवं कर्तव्य भी है ।

By Rashtra Samarpan

राष्ट्र समर्पण एक राष्ट्र हित में समर्पित पत्रकार समूह के द्वारा तैयार किया गया ऑनलाइन न्यूज़ एवं व्यूज पोर्टल है । हमारा प्रयास अपने पाठकों तक हर प्रकार की ख़बरें निष्पक्ष रुप से पहुँचाना है और यह हमारा दायित्व एवं कर्तव्य भी है ।

Related Post

error: Content is protected !!