पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ कानून के खिलाफ शुरू हुआ विरोध अब हिंसक रूप ले चुका है। हालात इतने भयावह हो गए हैं कि हिंदू परिवार अपने घर-बार छोड़कर जान बचाने के लिए पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। ऐसे ही एक परिवार के मुखिया मोहन मंडल, जो धुलियान क्षेत्र के निवासी हैं, अपने परिवार के साथ जान बचाकर पड़ोसी राज्य झारखंड के पाकुड़ जिले में पहुंचे हैं।
मोहन मंडल, जो सोमवार को अपनी पत्नी और बच्चों के साथ एक एंबुलेंस में छिपकर पाकुड़ पहुंचे, जब अपनी आपबीती सुनाते हैं तो उनकी आंखों में अब भी खौफ साफ नजर आता है। वे बताते हैं, “हमने सोचा था कि ये सिर्फ कानून का विरोध है, लेकिन जल्द ही यह हिंसा में बदल गया। देखते ही देखते कई दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया। आसपास का माहौल इतना डरावना हो गया कि वहां एक पल भी रुकना मुश्किल हो गया। अब तक ऐसा कुछ भी नहीं देखा था हमने।”
मोहन मंडल का परिवार इन दिनों पाकुड़ में अपने रिश्तेदारों के घर पर शरण लिए हुए है। वे बताते हैं कि मुर्शिदाबाद जिले में खासतौर पर धुलियान क्षेत्र में वक्फ कानून को लेकर स्थानीय लोगों के बीच तनाव कई दिनों से बढ़ रहा था, लेकिन प्रशासन की ओर से इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। जब हिंसा भड़क उठी तो पुलिस की मौजूदगी भी हालात को काबू में नहीं ला सकी।
धुलियान और उसके आसपास के कई इलाकों में रहने वाले अन्य हिंदू परिवारों ने भी असुरक्षित महसूस करते हुए अपने गांव छोड़ने का फैसला लिया है। इनमें से कुछ पाकुड़ पहुंच गए हैं, जबकि बाकी लोग अन्य सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर रहे हैं।
स्थिति को लेकर स्थानीय प्रशासन की चुप्पी और असहायता भी सवालों के घेरे में है। राज्य सरकार की ओर से अब तक इस मुद्दे पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे पीड़ित परिवारों की पीड़ा और बढ़ गई है।
वर्तमान स्थिति यह संकेत देती है कि यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो यह हिंसा और पलायन का सिलसिला और भी व्यापक रूप ले सकता है। जरूरत है कि सरकार इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करे और प्रभावित परिवारों को उचित सहायता प्रदान करे, ताकि वे फिर से अपने घर लौट सकें और सुरक्षित जीवन जी सकें।
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