रितेश कश्यप
Twitter @ meriteshkashyap
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड की जनता से सीधे संवाद का रास्ता सोशल मीडिया को चुना। लोगों को यह रास भी आ रहा है और कुछ लोग इसके माध्यम से अपनी शिकायत अपने राज्य के मुखिया हेमंत सोरेन तक पहुंचाने में सफल हो रहे हैं।
हेमंत सोरेन कैसे करते हैं ट्विटर के माध्यम से समस्याओं का समाधान?
किसी भी जिले के लोगों को अपनी समस्या अगर झारखंड के मुख्यमंत्री तक पहुंचा नहीं होती है तो वह लोग फेसबुक या ट्विटर के माध्यम से अपनी शिकायत लिखकर मुख्यमंत्री को टैग कर देते हैं । टैग करते ही मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल में मैसेज पहुंच जाता है जिसके माध्यम से उस ट्वीट को उस जिले के सर्वोच्च अधिकारी या फिर उस समस्या से संबंधित अधिकारी को टैग करते हुए उन अधिकारियों तक हेमंत सोरेन अपनी बात पहुंचा देते हैं। इस स्थिति में अधिकारी मुख्यमंत्री के टैग करते ही सक्रिय हो जाते हैं और उन समस्याओं का निष्पादन के लिए तत्पर रहते हैं।
क्या हुआ रामगढ़ के मामले में ?
ट्विटर के माध्यम से एक यूजर सत्य प्रकाश ने एक वीडियो बनाया जिसे ट्विटर पर अपलोड कर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को टैग करते हुए लिखा कि झारखंड के रामगढ़ की महिलाएं आज भी नदी में रोज गड्ढा खोदकर पानी निकालती हैं तो पीने और जीने का जुगाड़ हो पाता है…
इस ट्वीट को देखते ही हेमंत सोरेन ने रामगढ़ के उपायुक्त संदीप सिंह को टैग करते हुए लिखा कि यह शर्मनाक बात है जनता की मूलभूत सुविधाओं से मरहूम यह स्थिति उन्हें बिल्कुल मंजूर नहीं साथ ही उन्होंने इस समस्या का त्वरित समाधान करते हुए सभी गांव की सूची और योजना बनाकर कार्य करने का आदेश दिया। इस ट्वीट के बाद रामगढ़ के उपायुक्त संदीप सिंह ने इस वीडियो के जांच का आदेश दिया साथ ही उपायुक्त ने शुक्रवार को खुद मांडू प्रखंड के इचाकडीह गांव जा पहुंचे और लोगों से मिलकर वहां की समस्याओं को जानने का प्रयास किया और सभी जल मीनारों का निरीक्षण किया। इतना ही नहीं वहां के लोग जिस पानी को पी रहे हैं उस पानी को स्वयं उपायुक्त ने पानी पिया और अधिकारियों को उसकी गुणवत्ता जांचने का भी आदेश दिया। इन सबके बाद उपायुक्त ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ट्वीट करते हुए बताया कि उन्होंने जांच पड़ताल कर पाया कि यह शिकायत सही नहीं थी।
अपनी बात
वो कहानी तो आपने सुना या पढ़ा ही होगा की एक गाँव में बार बार एक लड़का ये कह कर चिल्लाता था की शेर आया ..शेर आया.. और गाँव वाले उसकी मदद को आ जाते थे ।मगर हमेशा यह पता चलता था की वह झूठ बोल रहा था ,जबकि एक दिन सच में जब शेर आया तो उसकी मदद को कोई नहीं आ पाया ये सोचकर की वो अभी भी झूठ ही बोल रहा होगा।
सोशल मीडिया आज के समय में ऐसा ही एक हथियार बन चुका है जिसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी बात शीर्ष नेतृत्व तक भी आसानी से पहुंचा सकता है। मगर कभी-कभी हम भावावेश में आकर या फिर तुरंत प्रसिद्धि पाने की चाह में ऐसा कदम उठा लेते हैं जो उचित नहीं रहता। ऐसा ही इस घटना में भी हुआ। सत्यप्रकाश ने उस वीडियो को क्यों बनाया यह तो वही जानते होंगे मगर उनके इस कदम से सरकारी कर्मचारी एवं पदाधिकारियों को परेशानी का सामना जरूर करना पड़ा ठीक उसी तरह जैसा की शेर आया वाली कहानी में था । इसीलिए हम सभी जिम्मेवार नागरिकों को इस बात का ख़ास ध्यान रखना होगा की किसी भी शिकायत की सत्यता जरुर जाँच लें ताकि सही और उचित समाधान मिल सके वरना एक दिन जब हम सच में किसी समस्या से घिरे होंगे तो हमारी सुनने वाला कोई ना होगा ।
ऐसी बात भी नहीं है कि उन्होंने ट्विट करके बहुत बड़ी गलती कर दी, मगर इन विषयों पर हमें जिम्मेवार बनना पड़ेगा ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार से सोशल मीडिया का दुरुपयोग ना हो सके।
सुलगते सवाल
- क्या सत्यप्रकाश ने वीडियो डालकर अधिकारियों और कर्मचारियों के किए गए काम पर सवालिया निशान खड़ा कर दिया?
- क्या इस तरह की खबरों से है सोशल मीडिया का दुरुपयोग नहीं हो रहा ?
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