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प्राकृतिक सौन्दर्य और आस्था का बेजोड़ संगम मराशिली पहाड़ और यहाँ का शिवलोक धाम !

मरसीली पहाड़ , रांची
मरसीली पहाड़ , रांची

क्या है मराशिली पहाड़ का रहस्य जहाँ महर्षि वाल्मीकि ने की थी तपस्या? 

सावन का महीना आने वाला है और इस महीने में पूरे देशभर में भगवान शिव को जलाभिषेक कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। देशभर में भगवान शिव के कई मंदिर हैं जहां भक्ति पहुंचते हैं उन पर जलाभिषेक करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं। किसी कड़ी में हम आपको झारखंड की राजधानी रांची से 14 किलोमीटर दूर नामकुम थाना क्षेत्र के अंतर्गत राजाउलातु के मराशिली पहाड़ पर स्थित  1000 वर्ष पुराने शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे शिवलोक धाम के नाम से भी जाना जाता है। 

यह मंदिर एक पहाड़ पर स्थित है जो 230 एकड़ में फैला हुआ है।  आश्चर्य की बात ये है कि ये पहाड़ सिर्फ एक पत्थर का ही है, जो कहीं से भी खंडित नहीं है। इस पहाड़ को मराशिली पहाड़ के नाम से जाना जाता है। इसका नाम मराशिली पहाड़ क्यों पड़ा इसके पीछे का इतिहास और अधिक रोचक है। आपलोगों ने महर्षि वाल्मीकि का नाम जरूर सुना होगा जिन्होंने रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की थी। इस महाकाव्य की रचना से पहले उन्होंने इसी पहाड़ पर कई वर्षों तक कठोर साधना की थी। साधना के दौरान उन्हें किसी बात का सुध नहीं था। उनके द्वारा राम-राम का जप किया जा रहा था लेकिन उन्हे सुध ही नहीं रहा कि कब वो राम की जगह मरा-मरा जपने लगे। इसी वजह से इस पहाड़ का नाम मराशिली पहाड़ रख दिया गया। 

यहां के पुजारी सुमेश पाठक बताते हैं कि इस पहाड़ की चोटी पर स्थित  शिवलिंग स्वयंभू है और इस  मंदिर का निर्माण भी एक ही रात में भगवान विश्वकर्मा के द्वारा ही हुआ है। इस मंदिर में चार दरवाजे हैं। इसके साथ ही पूरे पहाड़ पर कुल मिलाकर 9 कुंड, एक गुफा और मां काली के प्रामाणिकता के साक्ष्य हैं। यहाँ मौजूद गुफा के अंदर ही महर्षि वाल्मीकि ने कई वर्षों तक तपस्या की थी जिसके कारण इसका नाम मराशिली पड़ा। पहाड़ के ऊपर एक कुंड है जिसका जल कभी नहीं सूखता है। श्री पाठक ने बताया कि इसी कुंड के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। आज तक इस कुंड की गहराई नहीं नापी जा सकी है। वहां के पुजारी ने यह भी बताया कि इस कुंड के अंदर जल कहां से आता है यह कोई नहीं बता सकता लेकिन किसी भी मौसम में इस कुंड का पानी ना तो कभी कम होता और ना ही कभी सूखता है।

इस मंदिर में आसपास के क्षेत्र के लोगों के साथ-साथ राज्य के कई लोग भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं। भक्तों का कहना है कि यह आने वाले सभी लोगों की मनोकामना पूर्ण होती है। इसके साथ ही यह भी कहना है कि शादी, नौकरी या बच्चों की मनोकामना को लेकर आने वाले हर भक्त की मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। यहां के बारे में पता चला की शिवरात्रि और सावन में बहुत बड़ा मेला लगता है जिसमें  हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।

इस मंदिर का रखरखाव शिवलोक धाम मराशिली पहाड़ ट्रस्ट की ओर किया जाता है। इस ट्रस्ट के अध्यक्ष दयानंद राय हैं। श्री राय नागवंशी कालीन राजा के वंशज हैं। इस क्षेत्र में उनके ही पूर्वजों का राज हुआ करता था। श्री राय ने बताया कि यह क्षेत्र रातू महाराजा के अंतर्गत आया करता था। रातू महाराज के माध्यम से ही उनके पूर्वज राजा हरिदास राय को यहाँ के 24 मौजा की जमींदारी मिली थी। सबसे पहले उनके पूर्वज राजा हरिदास राय ही इस क्षेत्र में आए थे। इसी नाम से इस क्षेत्र का नाम राजा उलातु पड़ा है। उन्होंने इस मंदिर के विषय में बताया कि यह मंदिर कितना पुराना है यह बता पाना काफी मुश्किल है। पूर्वजों के अनुसार यह मंदिर विश्वकर्मा जी के द्वारा बनाया गया और यहां का शिवलिंग स्वयंभू हैं। श्री राय ने आगे बताया कि इस मंदिर के रखरखाव के लिए एक ट्रस्ट का निर्माण किया गया जिसमें समरसता का भी संपूर्ण ख्याल रखा गया है। सभी समुदाय के लोगों को इस ट्रस्ट में शामिल किया गया है। ट्रस्ट की समिति में लगभग 250 लोग सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि इस मंदिर का देखभाल ट्रस्ट के माध्यम से किया जाता है। किसी भी तरह के सुंदरीकरण और आसपास के क्षेत्र की सुरक्षा के लिए उनके सदस्य सदैव तत्पर रहते हैं। इसके साथ वे विशेष तौर पर ये भी ध्यान में रखते हैं कि कोई भी उपद्रवी या फिर पत्थरों के तस्कर इसके आसपास भी फटके। इसी बात पर उन्होंने एक बात बताई कि 15 वर्ष पूर्व इस पहाड़ी के बगाल की एक पहाड़ी को कुछ पत्थर तस्कर द्वारा वहाँ के पत्थरों को निकाला जा रहा था। इसके बाद इसी ट्रस्ट के माध्यम से ग्रामीणों को जागरूक किया गया और उन तस्करों को भगाया जा सका।  

इसके साथ ही इस मंदिर परिसर और पूरे इलाके की देखरेख का जिम्मा ज्योति महिला समिति आठ महिलाओं को दिया गया है। श्रद्धालुओं की गाड़ियां जब यहां पहुंचती है तो उनके गाड़ियों की पार्किंग की व्यवस्था भी इसी महिला समूह के द्वारा की जाती है। उनके द्वारा यह कोशिश की जाती है कि उसे स्थान को किसी भी तरह से दूषित न किया जा सके। इसी महिला समूह से आने वाली उनिडीह निवासी अनीता देवी ने बताया कि इस जगह को सुंदर और सुविधाजनक बनाने के लिए सारी महिलाओं ने एकजुट होकर इस समूह का निर्माण किया है। आसपास के क्षेत्र को सुंदर बनाए रखना उनका दायित्व है और इसके तहत अगर कोई परेशानी होती है तो प्रशासन भी उनका साथ देती है।

मराशिली पहाड़ चारों तरफ जंगलों से घिरा हुआ है। यहां आने के बाद किसी भी व्यक्ति का ध्यान आस्था के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य के ऊपर चल ही जाना है। चारों तरफ जंगलों से गिरा यह पहाड़ अपने आप में पर्यटक स्थल के रूप में देखा जा सकता है। मंदिर समिति के एक सदस्य ने यह भी बताया कि इस स्थान को भारत सरकार ने पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए चयन भी कर लिया है। झारखंड घूमने के लिए आने वाले कई लोग इस स्थान पर एक बार दर्शन करने और इस मनोरम दृश्य को देखने के लिए जरूर आते हैं।

इस मंदिर पर मौजूद भगवान शिव के दर्शन करने के लिए कई बड़े बड़े राजनेता भी पहुंचते हैं। बीते दिनों रांची के रांची के सांसद संजय सेठ ने मारासिली पहाड़ में भगवान के दर्शन के लिए आए थे। उन्होंने यहाँ पर 31 लाख रुपए के बजट से विवाह मंडप की आधारशिला रखी है। श्री सेठ ने बताया कि इस पहाड़ को देश में प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बनाने के लिए प्रयासरत हैं। आगे सांसद महोदय ने बताया की इस शिवलोक धाम पर लोगो की आस्था है , जिसका सरकार ध्यान दे रही है। साथ ही इस पहाड़ को देश स्तरीय विकसित करने के लिए भी स्वयं संकल्पित हैं।

 

इसी विषय पर हमारा विडिओ जरूर देखें !!  

 

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राष्ट्र समर्पण एक राष्ट्र हित में समर्पित पत्रकार समूह के द्वारा तैयार किया गया ऑनलाइन न्यूज़ एवं व्यूज पोर्टल है । हमारा प्रयास अपने पाठकों तक हर प्रकार की ख़बरें निष्पक्ष रुप से पहुँचाना है और यह हमारा दायित्व एवं कर्तव्य भी है ।

By Rashtra Samarpan

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