लेख : रितेश कश्यप
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झारखंड के हजारीबाग जिला के अंतर्गत गिद्दी बस्ती के टेहराटांड में 18 अप्रैल 2020 को रात 8 से 9 बजे के बीच चोरी के आरोप में जाबिर अंसारी उर्फ राजू अंसारी नाम के युवक के साथ मारपीट का मामला प्रकाश में आया । स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि हीरालाल गंझू ने इस मामले की खबर गिद्दी थाना में दी। मौके पर पुलिस ने पहुंचकर युवक को गिरफ्तार किया मगर युवक चलती गाड़ी से कूद गया । स्थानीय लोगों ने उस भागते हुए युवक को दुबारा पकड़ कर पुलिस के समक्ष पेश किया। युवक को पकड़ने के बाद अगले दिन युवक के मां बाप को बुलाया गया और कार्रवाई करने की बात कही मगर युवक के मां-बाप ने कहा कि उनका लड़का राजू अंसारी मानसिक रूप से विक्षिप्त है इसलिए उन्हें माफ कर दिया जाए। थाना प्रभारी और अन्य ग्रामीणों ने इस मामले को समझते हुए राजू अंसारी को बांड पर छोड़ दिया। इस घटना के 2 दिन बाद एक व्यक्ति ने ट्वीट कर इस घटना को मोबलिंचिंग का मामला बताया क्योंकि वह युवक मुसलमान था और गांव के सभी लोग दलित हिंदू थे। मामला तब तूल पकड़ा जब बीबीसी के एक रिपोर्टर रवि प्रकाश ने ट्वीट कर झारखंड सरकार के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दी। श्री सोरेन इस मामले पर संज्ञान लेते हुए झारखंड पुलिस को कार्यवाई करने की बात कही। हेमंत सोरेन के आदेश के बाद हरकत में आई पुलिस ने आनन-फानन में 13 लोगों को नामजद किया।
झारखंड में फिर हुआ मोब लिंचिंग: एपीसीआर झारखंड
मारपीट की घटना वायरल होने के बाद कुछ लोगों को लगा कि बहती गंगा में अपने भी हाथ धो लेने चाहिए सो कुछ लोगों ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए मारपीट की घटना में भी सांप्रदायिक हिंसा की तलाश में जुट गए। जामिया मिलिया के अंतर्गत एपीसीआर नाम के एनजीओ चलाए जाते हैं जिनके सचिव के सचिव जियाउल्लाह कहां की राजू अंसारी पर जानलेवा हमला उसका नाम जानने के बाद ही किया गया है और जैसे ही लोगों को पता चला कि वह एक मुसलमान है लोगों ने निर्वस्त्र कर उसे पीटा और मोगली इन सिंह का प्रयास किया गया। जियाउल्लाह के अनुसार राजू अंसारी अपने ससुराल गिद्दी ए से अपने घर पतरातु जा रहा था इसी क्रम में कुछ लोगों ने रोककर उसका नाम पूछा और पिटाई करना शुरू कर दिया।
क्या कहना है स्थानीय नेताओं का ?
गिद्दी के मासस नेता अखिलेश सिंह भाकपा माले नेता बैजनाथ मिस्त्री एवं भाजपा नेता पुरुषोत्तम पांडे ने इस मामले को मोब लिंचिंग मानने से इनकार किया साथ ही उन्होंने इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने का आरोप भी लगाया। भाजपा नेता पुरुषोत्तम पांडे ने कहा कि जिन दलितों के उत्थान की बात वर्तमान सरकार करती रहती है आज उन्हीं दलितों को मॉब लिंचिंग के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है जबकि जिस रोड से वह अपने घर जा रहा था अगर वह चोर नहीं था तो रोड से आधा किलोमीटर दूर स्कूल के पास क्यों गया था। साथ ही उन्होंने कहा कि जो लोग सरकार के दबाव में पुलिस एकतरफा कार्रवाई कर रही है क्योंकि जो लोग पुलिस को राजू अंसारी की सूचना दिया उन्हीं लोगों को पुलिस ने हिरासत में लेकर उनके ऊपर बड़ी आपराधिक धाराएं लगा चुकी है। आगे श्री पांडे ने झारखंड सरकार पर आरोप लगाया कि जैसे-जैसे इस घटना में फंसे लोग झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के नेता निकलने लगे तो अब कांग्रेस और झामुमो सरकार के भी तेवर नरम होते दिखाई दे रहे हैं । हालांकि उन्होंने भी इस घटना को मोब लिंचिंग मानने से इनकार किया है मगर इस बात से उन्होंने इंकार नहीं किया कि अगर इस मामले में कांग्रेस के नेता नहीं रहते तो शायद इसे सांप्रदायिक रंग देकर भाजपा और भाजपा के अन्य सहयोगी संगठनों को बदनाम किए जाने की पूरी साजिश रची जा रही थी।
सोशल मीडिया पर किया गया गलत प्रचार, यह मामला मोब लिंचिंग का नहीं: एसपी
हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक मयूर पटेल ने इस घटना पर कहा कि किसी भी स्तर से जांच के बाद यह घटना मॉब लिंचिंग का तो कतई नहीं लग रहा है सोशल मीडिया का उपयोग कर कुछ लोगों ने गलत प्रचार किया है और भ्रम फैलाने की कोशिश की है। इस गांव में पहले भी एक स्कूल की बैटरी और अन्य सामानों की चोरी की जा चुकी थी जिसके बाद गांव के लोगों को इन लोगों के बेवजह घूमने पर चोरी के शक हुआ जिस पर यह मारपीट की घटना घटी। अंत में उन्होंने यह कहा कि वजह कुछ भी हो मगर मारपीट कर किसी भी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं दिया जा सकता इसलिए दोषियों पर कार्रवाई जरूर होगी।
पुलिस को राजू अंसारी के पिता ने दिया आवेदन
राजू अंसारी के पिता अपने लिखित बयान में कहा कि अपने ससुराल से पतरातू आने के वक्त उनका बेटा स्कूल के पास पेशाब करने के लिए रुक गया और यह सारी घटना 18 अप्रैल 2020 को दिन के करीब 3:00 बजे की है। उनका बेटा राजू अंसारी के रुकने के बाद वहां मौजूद 13 लोगों ने उसके मुंह पर टॉर्च जलाया और उससे कहने लगे कि तुम बैटरी चोर हो और यह कहकर मेरे लड़के के साथ लोगों ने मारपीट करना शुरू कर दिया।
दुर्भावना से ग्रसित और राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए लोग किसी भी हद तक जा सकते हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पुलिस के दिए आवेदन के अनुसार राजू अंसारी दिन के करीब 3:00 बजे रोड के किनारे पेशाब के लिए रुका। अब दिन के 3:00 बजे टॉर्च जलाकर किसी को खोजने की जरूरत नहीं होती क्योंकि दिन के 3:00 बजे कहीं भी अंधेरा नहीं होता। दूसरी बात राजू अंसारी के पिता के अनुसार वह अपने ससुराल से पतरातू स्थित घर और जिस रास्ते पर वह पेशाब करने के लिए रुका वहां से करीब आधा किलोमीटर दूर वह विद्यालय स्थित है जहां राजू अंसारी पाया गया।
क्या कहना है स्थानीय पत्रकार एवं अन्य लोगों का?
वहां के स्थानीय पत्रकारों और अन्य लोगों से बातचीत के दौरान या पता चला की यह घटना रात के करीब 8:30 से 9:30 के बीच की है। रोड से आधा किलोमीटर अंदर गिद्दी बस्ती में स्थित सरस्वती विद्या मंदिर के आसपास दो लोगों को घूमते देखा गया। उक्त विद्यालय में करीब 2 महीने पहले विद्यालय के बसों में से हजारों रुपए के सामान की चोरी हो चुकी थी इसलिए दो अनजान लोगों को देखने के बाद स्कूल के गार्ड ने विद्यालय प्रबंधन समिति और गांव वालों को खबर की उसके बाद गांव वालों ने आकर उससे पूछताछ की और पुलिस को बुलाया। गांव वालों और पुलिस की पूछताछ में युवक इधर-उधर की बातें कर रहा था। उसके बाद जब उसे थाने ले जाए जाने लगा तो युवक ने चलती गाड़ी से छलांग लगाकर भागने की कोशिश की और इसी क्रम में गांव वालों की ओर से उसकी हाथापाई हुई और अंत में उसे पुलिस के पास पहुंचा दिया गया। पुलिस ने राजू अंसारी के घर वालों को खबर क्या और यह खबर मिलते ही उसके घर वालों ने बताया कि राजू मानसिक रूप से विक्षिप्त है और वह इस तरह की घटनाएं करता रहता है इसलिए उसे माफ किया जाए। गांव वालों ने और पुलिस पदाधिकारियों ने उसे समझा-बुझाकर बांड भरवाया और उसके बाद उसे छोड़ दिया गया।
क्या दलितों को बेवजह किया जा रहा है परेशान?
इस पूरे घटनाक्रम में जितने भी लोगों का नाम आया है उनमें से लगभग सारे लोग दलित समुदाय से आते हैं । उन लोगों ने पुलिस को इस घटना की सूचना दी ताकि पुलिस उचित कार्रवाई करें मगर राजू अंसारी के माता-पिता में कहा कि यह लड़का मानसिक विक्षिप्त है और यही दरियादिली उन सभी गांव वालों पर मुसीबत बनकर टूट पड़ी। जिन दलितों के नाम पर सारे दल राजनीति किया करते हैं आज उन्हीं दलितों को प्रताड़ित और शोषित किया जा रहा है मगर उनकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है।
आखिर इसे मोब लिंचिंग का नाम क्यों दिया जा रहा है?
जब इसके जड़ों में जाने का प्रयास किया गया तो पाया गया कि इस तरह की घटनाओं के बाद तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले राजनेताओं और राजनीतिक दलों की ओर से सहायता के नाम पर मोटी रकम मिलती है और इसी वजह से किसी भी आम छोटी-मोटी घटनाओं को भी मॉब लिंचिंग से जोड़ दिया जाता है। और खास करके इस तरह की घटनाओं को लेकर अफवाह फैलाने में हमारे देश की मीडिया भी पीछे नहीं रहना चाहती। इस तरह की घटना में राजनीतिक फायदे उठाने की पूरी प्रयास की जाती है मगर उपरोक्त घटना में कांग्रेस ने सांप्रदायिक दुर्घटना बनाने का प्रयास तो पूरा किया मगर गलती से इस घटना में उनके ही नेता का नाम आने के बाद उन लोगों ने भी मोब लिंचिंग के नाम से किनारा करना ज्यादा उचित समझा।
अब देखना यह है कि जिन दलित हिंदुओं को तथाकथित मॉब लिंचिंग के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है उनके लिए दलित की राजनीति करने वाले नेताओं का रवैया कैसा रहने वाला है। तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले नेताओं के गले की हड्डी बन चुकी यह घटना अब उनके ना तो निकलते बन रही है और ना ही उगलते। इस घटना में जाबिर उर्फ राजू अंसारी की बात नहीं मानते हैं तो वर्तमान सरकार को कई इस्लामिक संगठनों की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है और अगर उनकी बात मान लेते हैं तो दलितों की नाराजगी तो झेलनी पड़ेगी ही। हर मामले की तह तक जाने के लिए झारखंड सरकार ने 3 सदस्यों की जांच कमेटी बनाई है अब देखने वाली बात यह है कि इस मामले में आखिर न्याय का पलड़ा किस ओर झुकता है।
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