लेख: रितेश कश्यप
रामगढ़। कभी-कभी हम सोचते हैं कि कानून अच्छे के लिए होता है जो सिर्फ न्याय करना जानता है। लेकिन हालात ऐसे हो जाते हैं न्याय के जगह ऐसा प्रतीत होता है कि अन्याय हो रहा है।
कहानी बड़ी हृदय विदारक है, जिसे पढ़कर कठोर हृदय के मालिक भी अपने आंखों के बहते अश्रुओं रोक नहीं पाएंगे।
ऐसा एक वाकया रामगढ़ थाना में शुक्रवार को देखने को मिला जब एक महिला जो रांची के इरबा की रहने वाली थी उसने ढाई साल की अनाथ बच्ची जिसके मां बाप ने उसे नहीं अपनाया मगर उस महिला ने उसे अपना कर एक भरा पूरा परिवार दिया। 8 महीने के बाद उस मां से उस बच्ची को सिर्फ इसलिए छीन लिया गया क्योंकि उसने उस बच्ची को रखने के लिए कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं की गयी थी।
उस 3 साल की बच्ची जिसे एक बार तो उसके अपने मां-बाप ने नहीं अपनाया था मगर उसकी किस्मत से उसे एक नए मां-बाप मिले मगर आज उन्हें भी 8 महीने बाद छोड़कर अनाथालय भेज दिया जाएगा।
उस छोटी सी बच्ची से पत्रकारों ने पूछा की तुम्हें शाम को कहीं और ले चलेंगे तो उस मासूम ने कहा कि “हम कहीं नहीं जाएंगे हम सिर्फ मां के साथ जाएंगे”। उस बच्ची को कहां पता था की कानून 3 साल के बच्ची के इच्छा का सम्मान करना नहीं जानता। कानून को लगता है कि 3 साल की बच्ची को इतना ज्ञान नहीं होता कि कौन उसकी मां है और कौन उसकी मां नहीं इसीलिए उस बच्ची के मन की बात मन में ही रह गई।
पहले तो उसकी मां को लगा की पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाना ले जा रही है और उसके बाद सारी प्रक्रिया पूरी की जाएगी और बाद में बच्ची को उसे सौंप दिया जाएगा । मगर ऐसा हो ना सका , दिन भर के ड्रामे के बाद शाम को उस बच्ची को हजारीबाग अनाथ आश्रम ले जाने के लिए कुछ लोग आ गए और उस मां को कानून समझाया जाने लगा। उस औरत को देख कर ऐसा लग रहा था की काटो तो खून नहीं । जिस बच्ची को लेकर 8 महीने से पालन पोषण कर रही थी कई सपने सजाए उसके साथ जीने का प्रयास कर रही थी।
पत्रकारों के द्वारा पूछने पर उसने बताया कि उसे 11 साल से बच्चे नहीं हो रहे थे , एक निजी अस्पताल के द्वारा वह इलाज रत थी। उस अस्पताल में इस अनाथ बच्ची को जन्म देकर उसके मां-बाप ने छोड़ दिया था जिसे उस अस्पताल वालों ने ढाई साल तक लालन-पालन किया। अस्पताल की संचालिका बुजुर्ग होने के वजह से उस महिला से आग्रह किया कि इस बच्ची का कोई मां बाप नहीं है अगर वह इस महिला की देखभाल अच्छे से कर सकती है तो इसका लालन पालन करें और एक मां बाप का प्यार दे। 11 साल से मां बनने की चाहत में उस औरत की ममता जाग उठी और उसने इस आग्रह को सहर्ष स्वीकार किया।
8 महीने के बाद बच्ची को देने वाले अस्पताल पर बच्चे बेचने का आरोप लगा और इसी आरोप के तहत इरबा की महिला को बच्ची के साथ थाना लाया गया। उस औरत ने उस अस्पताल के संचालिका पर बच्ची बेचने के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उसके लिए वह औरत भगवान कम नहीं है क्योंकि मैं 11 साल से मां का सुख नहीं भोग पा रही थी इसी वजह से उन्होंने सहानुभूति दिखाते हुए मुझे यह बच्ची सौंपी मैंने इस बच्ची को मां से बढ़कर प्यार दिया और आगे भी दूंगी बस इस बच्ची को कोई मेरे से जुदा ना करे।
इस दौरान आए हुए सभी पत्रकारों ने उस मां से कई सवाल पूछे और उस बच्ची के मां ने सभी सवालों का जवाब दिया मगर उस मां के सिर्फ एक सवाल का जवाब सुबह से शाम तक कोई ना दे सका।
उस मां के सवाल यही था कि शाम तक इस बच्ची को मैं अपने साथ अपने घर ले जा सकूंगी ना ?
दिन भर के इस क्रियाकलापों में सभी पत्रकार और वहां रहने वाले पुलिस पदाधिकारी भी यही चाह रहे थे कि बच्ची उस मां के साथ चली जाए मगर ऐसा हो ना सका। बच्ची दिनभर धमा चौकड़ी मचाती रही, उसके खेलकूद ने और उसकी प्यारी बातों ने सभी का मन मोह लिया था और शाम को थक कर उसी मां की गोद में जाकर सो गई । उसे नहीं पता था कि उसके सोने के बाद चाइल्डलाइन के लोग आएंगे और उस मां की गोद से उस बच्ची को उठाकर हजारीबाग ले जाएंगे।
उस बच्ची को चाइल्डलाइन वालों ने जब अपनी गोद में उठाया तो उसकी मां की आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ पड़ा।
वह सैलाब ऐसा था कि उसमें बड़े-बड़े पत्थर और पहाड़ भी समा जाते मगर उन आंसुओं की कीमत दो कौड़ी की भी नहीं निकली क्योंकि कानून इजाजत नहीं देता।
नोट/अस्वीकरण/ DISCLAIMER : मानवीय आधार पर लिखा गया यह लेख किसी को आहत करने की दृष्टिकोण से नहीं लिखा गया है । सब अपना काम कर रहे हैं, उसमें चाहे कानून हो चाहे कानून के रखवाले । उनकी भी कुछ मजबूरियां है जिसके तहत वे चाह कर भी कुछ नहीं कर सकते।
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