- # आदिवासियों के उत्थान के नाम होता है उनका धर्मांतरण: गंगा बेदीया
- # आदिवासी संस्कृति की रक्षा ही उलगुलान आदिवासी सनातन परिषद का लक्ष्य : गंगा बेदिया
- # आदिवासी किसी राजनीतिक दल की कठपुतली नहीं*
- # आदिवासियों के उत्थान के नाम पर होता है उनका धर्मांतरण*
- # आदिवासी महिलाओं के तस्करी रोकने के लिए आगे आना होगा*
- # बाबा साहब के राष्ट्रवादी विचारों को आगे बढ़ाने के लिए किया गया गठन
- # भगवान बिरसा मुंडा ईसाइयों और अंग्रेजों से लड़ाई और आज वही लोग आदिवासी संस्कृति को कर रहे हैं खत्म
आदिवासी नेता गंगा बेदीया कई सालों से आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए अग्रणी भूमिका निभाते रहे हैं। इसी क्रम में मंगलवार को अपने इस अभियान को आगे बढ़ाने के लिए गंगा बेदिया सहित कई लोगों ने मिलकर उलगुलान आदिवासी सनातन परिषद का गठन किया है। गंगा कहते हैं कि आदिवासियों के हित में बात करने के लिए तो कई आदिवासी संगठन हैं बावजूद इसके आदिवासियों की संस्कृति की रक्षा नही हो पा रही है।
ऐसे संगठनों का उद्देश्य आदिवासियों का उत्थान करना नहीं होता है बल्कि अपना हित साधने भर के लिए बनाया गया है। आदिवासियों के कई संगठन तो कुछ राजनीतिक दलों और ईसाई मिशनरियों के इशारे पर काम करती देखी गयी है। इसके साथ ही कुछ आदिवासी संगठन आदिवासियों के बीच में ही भेदभाव डाल कर अपना हित साधने का काम करते हैं।
उलगुलान आदिवासी सनातन परिषद के गठन का उद्देश्य पूरी तरह से निस्वार्थ और स्पष्ट है। इस संगठन का किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है और ना कभी होगा ।
आदिवासी संस्कृति पूरे विश्व की सबसे पुरानी और सनातन संस्कृति है। आदिवासी प्रकृति के पूजक होते हैं। मगर कुछ ईसाई मिशनरी आदिवासियों की पूजा पद्धति और संस्कृति को खत्म करने के लिए बहकाने का काम कर रही है। — गंगा बेदिया
इस परिषद का प्राथमिक उद्देश्य आदिवासी संस्कृति और हितों का रक्षा के लिए आदिवासी धर्म कोड लागू करने की मांग करना है। इसके लिए ये परिषद हर तरह से आंदोलन रत रहेगा।
उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा ने आदिवासी समाज को बचाने के लिए ईसाई मिशनरियों और अंग्रेजों से लड़े। आज इन्ही मिशनरियों के द्वारा आदिवासियों का धर्म परिवर्तन कराकर उनके संस्कृति को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है। इसीलिए आदिवासी संस्कृति को बचाने के लिए सबसे पहले आदिवासियों के धर्म परिवर्तन पर रोक लगाने की मुहिम चलाना ही परिषद का उद्देश्य होगा ।
आदिवासी समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा समाज की महिलाओं की तस्करी है। काफी सारे संगठन होने के बावजूद हमारी बहन बेटियों की तस्करी हो जा रही है। इस तस्करी को रोकने के लिए ना तो कोई संगठन सक्रिय है और ना ही सरकार।इस परिषद का उद्देश्य आदिवासी महिलाओं की तस्करी को रोकने का भी है।
आदिवासी सीधे होते हैं इसलिए बहला-फुसलाकर उनकी जमीनों को भू माफिया आसानी से हड़प लेते हैं । इस परिषद का उद्देश उनकी जमीनों को वापस लाना है। साथ ही सरकार को इसके लिए नए कानून बनाए इसके लिए परिषद आगे आएगा।
इसके अलावा झारखंड में आदिवासी विश्वविद्यालय की स्थापना होनी चाहिए, आदिवासी सुरक्षा हेल्पलाइन शुरू हो, आदिवासियों के लिए रोजगार का अवसर मिले, आदिवासियों का आरक्षण और अंतिम व्यक्ति तक उस आरक्षण का लाभ पहुंच सके, इन सबके बीच भारत के संविधान निर्माता बाबा साहब अंबेडकर के राष्ट्रवादी विचारों को जन-जन तक पहुंचाना ही इस परिषद का उद्देश्य होने वाला है।
अंत में गंगा बेदीया ने कहा कि उलगुलान आदिवासी सनातन परिषद का विस्तार जल्द ही पूरे झारखंड में काफी बड़े पैमाने पर किया जाएगा। इस मौके पर प्रभात बेदीया, अनिल बेदीया, बलराम कुमार, शिवनंदन कुमार, रॉकी कुमार , हरिशंकर बेदिया सहित कई लोग मौजूद रहे।
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