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Ranchi : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारी मंडल की की हुई बैठक

 

रांची ,03 नवम्बर:  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह प्रांत कार्यवाह श्री राकेश लाल जी ने आज संघ कार्यालय श्रीनिकेतन के सभागार में  प्रेस को संवोधित करते कहा कि-“ कार्यकारी मंडल की वर्ष में दो बार बैठक होती है, एक प्रतिनिधि सभा से पहले और दूसरा दशहरा और दीपावली के बीच में. कोरोना के कारण पिछले साल बैठक नहीं हो सकी थी. कोरोना काल में संघ के स्वयंसेवकों ने लाखों की संख्या में सेवा कार्य किए. कोरोना के कारण संघ कार्य का विस्तार भी बाधित हुआ, शाखाएं ठीक से नहीं लग पाईं, देशभर में प्रवास भी बाधित हुआ. शाखा के रूप में प्रत्यक्ष कार्य प्रभावित हुआ, लेकिन सेवा के रूप में व्यापक कार्य हुआ. नित्य शाखा में आने वाले स्वयंसेवकों के साथ ही केवल कार्यक्रमों में आने वाले स्वयंसेवकों ने भी अत्यधिक सक्रियता से कार्य किया.किन्तु अब परिस्थितियां बदली है.

कार्यकारी मंडल की बैठक में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमलों को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया है. बांग्लादेश में हिन्दू समाज पर आक्रमण अचानक घटित घटना नहीं है. फेक न्यूज के आधार पर साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने की कोशिश की गई है, ये हिन्दू समाज के निर्मूलन का योजनाबद्ध प्रयास था. उन्होंने बताया कि प्रस्ताव में हिन्दुओं पर हुए हिंसक आक्रमणों पर दुःख व्यक्त किया गया है और वहाँ के हिन्दू अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रही क्रूर हिंसा और बांग्लादेश के व्यापक इस्लामीकरण के जिहादी संगठनों के षडयन्त्र की घोर निंदा की गई है.प्रस्ताव में कहा गया है कि हिन्दू समाज को लक्षित कर बार-बार हो रही हिंसा का वास्तविक उद्देश्य बांग्लादेश से हिन्दू समाज का संपूर्ण निर्मूलन है, फलस्वरूप भारत विभाजन के समय से ही हिन्दू समाज की जनसंख्या में निरंतर कमी आ रही है. विभाजन के समय पूर्वी बंगाल में हिन्दुओं की जनसंख्या लगभग अठ्ठाईस प्रतिशत थी, वह घटकर अब लगभग आठ प्रतिशत रह गई है. जमात-ए-इस्लामी (बांग्लादेश) जैसे कट्टरपंथी इस्लामी समूहों द्वारा अत्याचारों के कारण विभाजन काल से, विशेषकर 1971 के युद्ध के समय बड़ी संख्या में हिन्दू समाज को भारत में पलायन करना पड़ा.संघ ने मानवाधिकार के तथाकथित प्रहरी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित संस्थाओं के गहरे मौन पर चिंता व्यक्त की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आवाहन किया कि इस हिंसा की निंदा करने के लिए आगे आए व बांग्लादेश के हिन्दू, बौद्ध व अन्य अल्पसंख्यक समाज के बचाव व सुरक्षा हेतु अपनी आवाज़ उठाए. बांग्लादेश या विश्व के किसी भी अन्य भाग में कट्टरपंथी इस्लामिक शक्ति का उभार विश्व के शांतिप्रिय देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्था और मानवाधिकार के लिए गम्भीर ख़तरा सिद्ध होगा.प्रस्ताव में हिंसा से पीड़ित परिवारों की सहायता के लिए इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, विश्व हिन्दू परिषद एवं अनेक हिन्दू संगठनों-संस्थाओं की सराहना की गई है. कार्यकारी मंडल ने भारत सरकार से भी अनुरोध किया कि उपलब्ध सभी राजनयिक माध्यमों का उपयोग करते हुए बांग्लादेश में हो रहे आक्रमणों व मानवाधिकार हनन के बारे में विश्व भर के हिन्दू समाज एवं संस्थाओं की चिंताओं से बांग्लादेश सरकार को अवगत कराये ताकि वहाँ के हिन्दू और बौद्ध समाज की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

उन्होंने  प्रेस को संवोधित करते हुए कहा कि-“देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस निमित्त संघ के स्वयंसेवक समाज व विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेंगे, स्वतंत्र रूप से भी आयोजन होंगे. स्वतंत्रता आंदोलन के अज्ञात सेनानियों का जीवन समाज के सामने लाया जाएगा. भारत का स्वतंत्रता आंदोलन विश्व में विशिष्ट रहा है, सबसे लंबे समय तक चला है. आंदोलन में देश की एकात्मता प्रकट हुई. यह आंदोलन केवल अंग्रेजों के खिलाफ नहीं था, अपितु भारत के ‘स्व’ का आंदोलन था. इसलिए स्वदेशी आंदोलन उसमें जुड़ गया, स्व-भाषा, स्व-संस्कृति का आंदोलन जुड़ गया. इसलिए भारत के ‘स्व’ का अर्थ अंग्रेजों को यहां से भगाना चाहिए, इतना ही नहीं था. भारत की आत्मा को जागृत करने का था, इसके लिए स्वामी विवेकानंद सहित अनेक हस्तियों ने कार्य किया. साथ ही इस अवसर पर वर्तमान पीढ़ी को संकल्प लेना चाहिए कि हम भारत को हर क्षेत्र में दुनिया में उत्कृष्ट बनाने के लिए कार्य करेंगे. 

सह प्रांत कार्यवाह ने कहा कि-“सिक्ख पंथ के नवम गुरु, गुरु श्री तेगबहादुर जी के 400वें प्रकाश वर्ष पर संघ सम्पूर्ण समाज के साथ जो उनके आदर्शों को मानता है के साथ मिलकर कार्यक्रमों के आयोजन का निर्णय किया है. गुरु श्री तेगबहादुर जी ने धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान दिया है. उनकी स्मृति व प्रेरणा वर्तमान पीढ़ी को होनी चाहिए.

उन्होंने संघ के कार्यवृत के बारे में बताया कि देश में अभी 34 हजार स्थानों पर दैनिक शाखा, साप्ताहिक मिलन 18490  स्थानों पर, मासिक मंडली 7905 स्थानों पर, यानि कुल 55 हजार स्थानों पर संघ का प्रत्यक्ष कार्य है. अभी देशभर में 54382 दैनिक शाखाएं लग रही हैं.वहीँ झारखण्ड में कुल 0423 स्थानों पर दैनिक शाखा साप्ताहिक मिलन 0272 स्थानों पर, मासिक मंडली 0049  स्थानों पर, यानि कुल 750 स्थानों पर संघ का प्रत्यक्ष कार्य है. अभी झारखण्ड में 0664 दैनिक शाखाएं लग रही हैं.

वर्ष 2025 में संघ के 100 वर्ष होने वाले हैं. तथापि हम प्रति तीन वर्ष में संगठन के विस्तार की योजना बनाते हैं. इस दृष्टि से हमने विचार किया है कि मंडल स्तर तक हमारा काम होना चाहिए. अभी झारखण्ड में  0258  ब्लॉक/खंड में से 0126  में संघ कार्य है. 1264 मंडलों में 0672 मंडलो में काम है, 024 जिलों में से 024 जिलों में काम है, हमने विचार किया है कि आने वाले तीन साल में संघ कार्य  सभी मंडलों तक पहुंचना चाहिए. पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं को लेकर भी योजना बनी है. 2022 से 2025 तक कम से कम दो साल का समय देने वाले कार्यकर्ता तैयार करेंगे, मार्च में इसकी संख्या आ जाएगी. कोरोना के कारण नित्य शाखा बाधित होने पर भी संपर्क के आधार पर झारखण्ड में 2037 स्थानों पर गुरु पूजन का कार्यक्रम हुआ इस कार्यक्रम में 3252354 स्वयंसेवको ने श्रीगुरु पूजन किया.

पर्यावरण संरक्षण प्रतिदिन का कार्य है, केवल दीपावली पर पटाखों को प्रतिबंधित करने से क्या समस्या का समाधान होगा, इससे समाधान नहीं होने वाला. विश्व के अनेक देशों में पटाखों का उपयोग होता है. इसलिए, किस प्रकार के पटाखों को प्रतिबंधित करना है, इसे देखना होगा. समग्रता से विषय को देखना चाहिए, एकदम से निर्णय नहीं लिया जा सकता. समग्रता से और समय रहते चर्चा होनी चाहिए. इससे मिलने वाले रोजगार के बारे में भी विचार करना होगा. मार्च माह की बैठक में पर्यावरण संरक्षण, परिवार प्रबोधन, समरसता, सामाजिक सद्भाव के कार्य के साथ जोड़ने पर विचार हुआ था. ये चारों समाज की गतिविधि बने, इस दृष्टि से काम करने का तय किया था. इसे लेकर अभी तक हुए प्रयासों व अनुभवों की समीक्षा  भी बैठक में हुई है. इस पत्रकार वार्ता में प्रान्त प्रचार प्रमुख श्री धनन्जय कु सिंह उपस्थित थे।

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राष्ट्र समर्पण एक राष्ट्र हित में समर्पित पत्रकार समूह के द्वारा तैयार किया गया ऑनलाइन न्यूज़ एवं व्यूज पोर्टल है । हमारा प्रयास अपने पाठकों तक हर प्रकार की ख़बरें निष्पक्ष रुप से पहुँचाना है और यह हमारा दायित्व एवं कर्तव्य भी है ।

By Rashtra Samarpan

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