रिपोर्ट: संतोष कुमार (@santoshrmg)
रांची/पटना, 20 दिसंबर 2025: बिहार की आयुष डॉक्टर नुसरत परवीन के साथ नियुक्ति पत्र वितरण कार्यक्रम में हिजाब हटाने की घटना ने अंतर-राज्य राजनीति को गरमा दिया है। झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने डॉ. नुसरत को बड़ा ऑफर देते हुए कहा कि यदि वे झारखंड स्वास्थ्य सेवा में आती हैं, तो उन्हें 3 लाख रुपये मासिक वेतन, मनचाही पोस्टिंग, सरकारी आवास, पूर्ण सुरक्षा और सम्मानजनक कार्य वातावरण दिया जाएगा।
इरफान अंसारी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा, “बिहार में डॉ. नुसरत परवीन के साथ हुई अमानवीय घटना ने देश को झकझोर दिया है। मैं खुद एक डॉक्टर हूं, और अगर वे झारखंड आती हैं तो झारखंड में उसका स्वागत है।
इस बयान पर भाजपा ने तीखा पलटवार किया है। झारखंड के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा नेता भानु प्रताप शाही ने इरफान अंसारी को निशाने पर लेते हुए कहा “बिहार से नुसरत को बुलाकर झारखंड में नौकरी देने का क्या मतलब? मंत्री हैं तो नियम-कानून का पालन करेंगे या मनमानी? किस नीति के तहत बिहार से बुलाकर नौकरी दे रहे हैं? यहां के बेरोजगारों का क्या? झारखंड किसी जाति या समुदाय का नहीं, सभी का है।मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति से झारखंड नहीं चलेगा।” अपनी हद में रहें, फैसला वापस लें, वरना झारखंड के बेटे-बेटियां आपको भगाकर बांग्लादेश भेज देंगे।”
भाजपा के अन्य नेताओं ने भी इसे वोट बैंक की राजनीति करार दिया और सवाल उठाया कि इतना प्रेम है तो झारखंड की किसी गरीब मुस्लिम महिला को क्यों नहीं नौकरी देते?
उधर, डॉ. नुसरत परवीन ने झारखंड के ऑफर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। उनके कॉलेज के प्रिंसिपल और परिवार के अनुसार, वे नीतीश कुमार से नाराज नहीं हैं और आज पटना के सदर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में बिहार में ही ड्यूटी जॉइन कर सकती हैं।
यह मामला अब महिला सम्मान, धार्मिक स्वतंत्रता और स्थानीय नियोजन नीति का बड़ा मुद्दा बन गया है, जिस पर दोनों राज्यों की सियासत तेज हो गई है। इरफान अंसारी की ओर से भानु प्रताप शाही के आरोपों पर अभी कोई प्रत्यक्ष जवाब नहीं आया है।
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