संजू तो राख हो चुका..अब सपना को न्याय दिलाइये।
कल्पना कीजिये वो क्या वीभत्स दृश्य रहा होगा? जब तकरीबन 500 की उन्मादी भीड़ ‘सपना’ के पति संजू को घर से निकाल कर पिटाई शुरू करती है। पुलिस उस उन्मादी भीड़ के साथ आती है, सबकुछ पुलिस के सामने होता है। सपना पुलिस वालों के पैर पकड़ कर गिड़गिड़ाती है, संजू को बचाने की गुहार लगाती है, लेकिन कोई नहीं सुनता भीड़ सपना और उसके परिवार वालों को भी पीट कर उससे अलग कर देती है। पुलिस के जवान छिपकर अपने मोबाइल में वीडियो बनाते रहते हैं।
अधमरा संजू अपने प्राणों की भीख मांगता है लेकिन उन्माद दया की बोली नहीं सुनती।
संजू को सपना के सामने जला दिया जाता है, चंद मिनट में संजू राख के ढेर में तब्दील हो जाता है।
जले हुए मोबाइल, खून से सने जूते और कोयले के रूप में तब्दील हो चुके संजू के अवशेष, ये उस क्षेत्र की कहानी है, जिसकी ख्याति सैकड़ों हॉकी खिलाड़ी देने के लिए होती थी।
राँची से तकरीबन 150 किलोमीटर की दूरी पर कोलेबिरा से चाईबासा के मध्य बम्बलकेरा पंचायत का बसराजारा गांव आज इस क्रूरतम कहानी की गवाही दे रहा है। 4 जनवरी को घटे इस घटना के बाद पुलिस सादे कागज पर सपना से सिग्नेचर करा कर लौट जाती है। रोते बिलखते परिवार को न कोई ढांढस देता है न कोई सुरक्षा। अखबार में आधी-अधूरी ख़बर छपती है और संजू को पूर्व नक्सली और पेड़ काटने का अपराधी साबित कर एक नरेटिव सेट कर इस #मॉब_लींचिंग को जस्टिफाई करने की कोशिशें भी शुरू हो जाती है।
पेड़ काटने के नाम पर अपराध का यह क्रूरतम दृश्य शायद ही देश में कभी सुना होगा। इस #मॉब_लींचिंग के बाद न राज्य के मुखिया सपना की सुध लेते हैं न कोई अधिकारी।
दूसरे दिन डीसी और एसपी लाव लश्कर के साथ पहुंचते हैं और सपना को एक बोरी चावल, 2 किलो दाल और एक लीटर सरसो का तेल दे जाते हैं, बस किसी की जान की यही कीमत है।
मीडिया के लोग वहां जाने से भी डरते हैं, आधे अधूरे जानकारी से ख़बरें चलाते हैं।
लेकिन आज सपना ने अपनी चुप्पी तोड़ी है, हरेक बातों को खुल कर बताया है। बताया है कि कैसे गांव में लगने वाले हाट-बाजार में गोकशी कर गोमांस बेचने वालों का विरोध इस षड्यंत्र का मुख्य कारण रहा है। कैसे पुलिस और राजनेताओं के संरक्षण में सुनिगोजित तरीके से इस घटना को अंजाम दिया गया।
सपना की बातें झारखंड की उस सच्चाई को बताती है, जिसे स्वीकारना आसान नही है, लेकिन सच तो यही है। आज संजू तो कल कोई और निशाने पर होगा।
पहचानिए उन साजिशकर्ताओं को जो अब तय कर रहे हैं कि किसे जिंदा छोड़ना है और किसे उस भयावह तरीके से मारना है कि आगे कोई संजू विरोध तक करने की हिम्मत न करें।
मुख्यमंत्री Hemant Soren जी, संजू और सपना भी इसी माटी के हैं, उनका भी यहां के जल-जंगल-जमीन पर बराबर का हक था।
न्याय कीजिये, दोषियों को कठोरतम दंड दीजिए ताकि ऐसी हिम्मत कोई न कर सके।
इस घटना के बाद एक झारखंडी होने के नाते सबका सिर शर्म से झुक गया है। झारखंडी अस्मिता की रक्षा अब आपके हाथों में है।
बसराजारा, सिमडेगा से लौटकर…
✍️ सुधीर शर्मा
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