राँची। आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर राँची विमेंस कालेज के बीएड विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषय पर दो दिवसीय आनलाईन राष्ट्रीय सेमिनार के पहले दिन का आयोजन प्राचार्या डॉ.शमशून नेहार की अध्यक्षता में किया गया। प्राचार्य ने अपने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति के लागू होने से औपचारिक शैक्षिक संरचना में आवश्यकता आधारित परिवर्तन होगा, अब प्रीनर्सरी को औपचारिक शिक्षण संरचना में शामिल कर लिया गया है तो दूसरी तरफ उच्च शिक्षा से एम.फिल. को हटाते हुए स्नातक स्तर में रिसर्च को जोड़ दिया गया है और स्नातक स्तर पर प्रत्येक वर्ष के लिए छात्रों द्वारा अध्ययन की गई अवधि की स्वीकारिता स्वीकारी जायेगी और उनके द्वारा प्राप्त ज्ञान को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट में संचित किया जाएगा जिसे विद्यार्थी आगे की पढ़ाई में उपयोग कर सकेगें।
तत्पश्चात प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा महाराष्ट्र के शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.गोपाल कृष्ण ठाकुर ने कोठारी आयोग, कलकत्ता आयोग, राधाकृष्णन आयोग एवं 1986 की नयी शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा की राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विश्व के लिये उपयोगी शिक्षा व्यवस्था पर आधारित है। जिसके शिल्पकार शिक्षक हैं। उन्होंने कोठारी आयोग के प्रीयेमबल का जिक्र करते हुये कहा की इफ द डेस्टिनी आफ द नेशन इज बियिंग सेभड इन द क्लास रूम देन वी द टीचर्स आर द पालिसी मेकर। नई शिक्षा नीति में स्पेशल एजुकेशन जोन, जेंडर इनक्लुजन फंड तथा एकेडेमिक बैंक आफ क्रेडिट के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।
दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए राँची विश्वविद्यालय के पूर्वकुलसचिव सह प्राध्यापक,स्नातकोत्तर वाणिज्य एवं व्यापार प्रबंधन विभाग डाॅ.अमर कुमार चौधरी ने कहा कि शिक्षा अंक प्रधान नहीं बल्कि कौशल प्रधान होनी चाहिए उन्होंने झारखण्ड के परिप्रेक्ष्य में नयी शिक्षा नीति के संदर्भ पर चर्चा करते हुए कहा की झारखंड में भी नयी शिक्षा नीति लागु हो इसके लिए हम सभी शिक्षकों को एक ड्राफ्ट तैयार कर राज्य सरकार को सौंपना चाहिए। अगर आवश्यकता हो तो इसके लिए जन आंदोलन भी किया जाना चाहिए। उन्होंने पूर्व के वक्ता के मुख्य बिंदुओं जैसे एसईजेड, जेंडर इनक्लुजन फंड की महत्ता पर भी जोर दिया तो दूसरी तरफ क्षेत्रीय भाषा में शिक्षण की नई शिक्षा नीति की अनुशंसा की वकालत भी की। उन्होंने विद्यार्थियों में पढ़ने में कंफ्यूजन किर्येशन को उदाहरण देकर बताया कि जिस तरह से अमरूद को क्षेत्रीय भाषा में टमरस कहते हैं अंग्रेजी में गवाभा कहते हैं बच्चे इन तीनों शब्दों को सुनकर कंफ्यूज हो जाते हैं जिसके लिये नयी शिक्षा नीति में प्राथमिक स्तर पर क्षेत्रीय भाषा में पढाई होने का प्रावधान है।
तृतीय सत्र को संबोधित करते हुए क्षेत्रीय शिक्षण संस्थान शिलांग मेघालय के प्रो.सुभाष चंद्र राय ने कहा कि संवैधानिक मूल्यों के साथ-साथ भारतीय मूल्यों का विकास भी नई शिक्षा नीति से होगा जिससे शैक्षिक क्रांति होगी और ज्ञान सृजन, मूल्य सृजन और धन सृजन भी होगा और भारत ज्ञान आधारित इकोनामी की ओर विकसित होगा जिसमें भारतीय मूल्य और संस्कृति समाहित होगी दूसरी तरफ आधुनिक आभासी तकनीक एवं डिजिटल तकनीक में भी दक्षता और कुशलता का समावेशन होगा जिससे सर्वांगीण विकास का मार्ग प्रशस्त होगा।
राष्ट्रीय सेमिनार के सभी शिक्षाविदों का परिचय कराते हुए बीएड विभाग की कोऑर्डिनेटर डॉ.सीमा प्रसाद ने कहा कि नई शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से ही विकसित भारत के सपने पूरे हो सकते हैं जिसमें क्षेत्रीय भाषा, भारतीय दर्शन, भारतीय प्राचीन ज्ञान परंपरा के माध्यम से ही बच्चों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास की बात कही।
सेमिनार के प्रथम दिन के सभी शिक्षाविदों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष डॉ.रंजना कंठ ने किया एवं मंच संचालन आयोजन सचिव डॉ.सचिन कुमार ने किया।इस अवसर पर विभाग के सभी प्राध्यापक सहित सैकड़ों प्रतिभागी उपस्थित रहे।
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