◆ एक महीने में आधार से बिछड़ों को मिलाने की जिले की दूसरी घटना, उपायुक्त ने सौंपा घरवालों को
रामगढ़: आधार बिछड़ों के लिए वरदान साबित हो रहा है। गुरूवार को समाहरणालय में जिले की उपायुक्त श्रीमती राजेश्वरी बी ने 10 महीनों से लापता मधुबनी के फिरोज को उसके घरवालों को सौंपते हुए कहा कि महीने भर में यह रामगढ़ में दूसरी घटना है। आधार होने की वजह से ही आज फिरोज अपने घरवालों से मिल पाया है। लोग अपने बच्चों का आधार जरूर बनवाएं और 5 वर्ष की आयु होने पर उसे अपडेट भी कराएं।
10 महीनों तक जो परिवार अपने लापता बेटे को ढूंढने के लिए शहरों के चप्पे-चप्पे छान रहा था, लापता बेटे के इश्तेहार के माध्यम से ईनाम तक देने की घोषणा कर रखी थी। समय बीतता गया और बेटे की वापसी की उम्मीदें भी खोती जा रही थी। अचानक किसी सरकारी ऑफिस से फोन आया कि आपका बेटा हमारे पास सुरक्षित है आकर ले जाइए। ये कहते हुए मधुबनी के साबीर नदाफ की आँखे छलक जाती है। वो कहते है हमने तो उम्मीदें ही छोड़ दी थी, लेकिन आधार कार्ड बने होने की वजह से हमारा बेटा हमें वापस मिल गया।
14 साल का फिरोज नदाफ बोलने और सुनने में असमर्थ है, 13 जुलाई 2018 को उसके पिता साबीर नदाफ मधुबनी से उसे राँची के रिनपास में इलाज कराने के लिए आए थे। इसी क्रम में वो राँची रेलवे स्टेशन में वो अपने परिजनों से बिछड़ गया। भटकते हुए फिरोज किसी तरह से 19 जुलाई 2018 को रामगढ़ जिला के गोला पहुँच गया। गोला थाना के पदाधिकारियों ने उसे बाल कल्याण समिति, रामगढ़ को सौंप दिया। वात्सल्यधाम बालगृह ही अब उसका नया ठिकाना बन चुका था, मूक और बधिर होने की वजह से वो न तो अपने घरवालों के बारे में कुछ बता सकता था न किसी की बातों को सुन सकता था।
बालगृह में इस स्पेशल बच्चे का नाम समीर रखा गया। संरक्षण पदाधिकारी संस्थागत देखभाल श्री दुखहरण महतो के द्वारा समीर के आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई। डीपीओ आधार श्रीमती आरती कुमारी ने बच्चे के आधार के लिए सिविल सर्जन से सत्यापित आयु एवं उम्र के प्रमाणों को आधार डेटाबेस में डाला गया तो पता चला कि उसका आधार पहले से बना हुआ है। उसके आधार से उसके पिता श्री साबीर नदाफ की जानकारी प्राप्त की गई। रामगढ़ डीसीपीओ के द्वारा मधुबनी डीसीपीओ से संपर्क किया गया। मधुबनी के डीसीपीओ आधार के द्वारा फिरोज के परिजनों की पुष्टि करते हुए रामगढ़ यूआईडी को बच्चे को उसके घरवालों को सौंपने का आग्रह किया।
ज्ञात हो कि इसके पूर्व भी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से लापता अमन को भी आधार कार्ड के माध्यम से ही अपने घरवालों से मिल पाया था। अमन और फिरोज की कहानी लगभग एक जैसी ही है। दोनों बच्चों को उसके घरवालों से मिलाने में संरक्षण पदाधिकारी श्री दुखहरण महतो, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी श्रीमती शांति बागे, डीपीओ श्रीमती आरती कुमारी एवं यूआईडी के पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
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