रिपोर्ट : सतीश सिंह
रामगढ़। जिले के बाल संरक्षण विभाग और इसके अंतर्गत कार्य करने वाली बाल कल्याण समिति के नाम पर क्षेत्र में आम जनों का भयोदोहन किए जाने की चर्चा है।
एक ओर जहां दो बच्चों के लापता हो जाने के बाद वात्सल्यधाम संचालक द्वारा बाल संरक्षण विभाग को कोई जानकारी नहीं दी जाती है। वहीं जिले की बाल कल्याण समिति का क्रिया कलाप से लोग अब तक भ्रमित होते रहे हैं ।
लापता बच्चों की जानकारी बड़े अधिकारियों से छिपाई गई
बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष मुन्ना कुमार पांडे इस मामले की मौखिक जानकारी मिलने की बात स्वीकार करते हैं।
अब प्रश्न यह उठता है कि यदि बाल कल्याण समिति को बच्चों के लापता होने की सूचना थी तो उन्होंने बाल संरक्षण विभाग को इसकी जानकारी क्यों नहीं दी?
जिला बाल कल्याण समिति के सदस्य आकाश शर्मा का नया कारनामा सामने आया है। उसने खुद को बाल कल्याण समिति का सर्वे सर्वा और फर्स्ट क्लास न्यायिक मजिस्ट्रेट घोषित करते हुए महिला थाना सहित अन्य थानों में दीवार पर मोबाइल नंबर सहित अपना नाम लिखवाया है।
सवाल उठना लाज़मी है कि कहीं थाने की दीवारों पर अपना नाम लिखवाने का उद्देश्य पुलिसकर्मियों और आम नागरिकों को गुमराह करने का तो नहीं था ?
मजेदार बात यह है की अकाश शर्मा ने डीएसपी स्तर के अधिकारी जो बाल कल्याण समिति के नोडल अफसर भी है उनका नाम व मोबाइल नंबर खुद के नाम के नीचे लिखवाया है।
मामले की पड़ताल के दौरान दीवारों पर छपे नामों को मिटाया गया।
थाने की दीवारों पर अकाश शर्मा के नाम के नीचे जुडिशल मजिस्ट्रेट लिखे जाने के बारे में पूछे जाने पर डीएसपी मुख्यालय प्रकाश सोय ने अनभिज्ञता जाहिर करते हुए कहा यह सरासर गलत है।
बच्चों की समस्याओं के जल्द निपटारे के लिए बाल कल्याण समिति और चाइल्ड हेल्पलाइन के प्रसार प्रचार की अनुमति दी गई थी। इसका गलत फायदा समिति के सदस्य द्वारा उठाया गया।
इस बाबत पुलिस अधीक्षक निधि द्विवेदी से पूछने पर उन्होंने बताया कि कोई भी समिति का सदस्य जुडिशल मजिस्ट्रेट नहीं हो सकता अगर ऐसा हुआ है तो यह गलत है और आज ही सभी थानों से या बोर्ड हटवाए जाएंगे।
जिला प्रशासन इस घटना पर क्या कार्रवाई करती है यह देखना दिलचस्प होगा।
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