50 हजार भारतीयों को डिप्रेशन के दौर से निकाला बाहर, अब कर रहे व्यापक सेवाकार्य
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सुधीर शर्मा, राँची
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राँचीः कोराना के संकटकाल में जब पूरा विश्व बंद है, लाॅकडाउन के शुरूआती दौर में जब सबकोई हर हाल में अपने घर आने की जद्दोजहद में लगा था, उस वक्त नाईजीरिया में रह रहे करीब 50 हजार भारतीयों के बीच सकारात्मकता का प्रसार कर उन्हें घबडाहट के दौर से बाहर निकालने में राँची के विपुल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोरोना के संक्रमण फैलने और दुनिया भर के लोग जब अपने देश जाने के लिए परेशान थे, उस वक्त विपुल ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के माध्यम से भारतीयों को एकजुट कर न केवल वहीं रोका बल्कि सेवाकार्यों के माध्यम से एक विशिष्ट पहचान भी बनाई।
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सुधीर शर्मा, राँची
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राँचीः कोराना के संकटकाल में जब पूरा विश्व बंद है, लाॅकडाउन के शुरूआती दौर में जब सबकोई हर हाल में अपने घर आने की जद्दोजहद में लगा था, उस वक्त नाईजीरिया में रह रहे करीब 50 हजार भारतीयों के बीच सकारात्मकता का प्रसार कर उन्हें घबडाहट के दौर से बाहर निकालने में राँची के विपुल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कोरोना के संक्रमण फैलने और दुनिया भर के लोग जब अपने देश जाने के लिए परेशान थे, उस वक्त विपुल ने स्ट्रेस मैनेजमेंट के माध्यम से भारतीयों को एकजुट कर न केवल वहीं रोका बल्कि सेवाकार्यों के माध्यम से एक विशिष्ट पहचान भी बनाई।
राँची के सामलौंग के रहने वाले विपुल का पूरा नाम संजय विपुल श्रीवास्तव है, वो पिछले 14 वर्षों से नाईजीरिया में रह रहे है। 10 सालों तक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करने के बाद नाईजीरिया की आर्थिक राजधानी लागोस में उन्होंने आयात-निर्यात की परामर्शदातृ कंपनी की शुरूआत की। आज वो नाईजीरिया में एक सफल व्यवसायी है।
विपुल बताते है, कि करीब 20 करोड़ की आबादी वाला देश नाईजीरिया एक गर्म प्रदेश है,यहाँ के लोगों की इम्यूनिटी काफी अच्छी है। फिर भी कोराना के संक्रमण से यह देश भी अछूता नहीं रहा। लेकिन अन्य देशों की तुलना में यहाँ संक्रमण की दर काफी कम है। अभी तक मात्र 5162 पॉजिटिव मरीजों की पुष्टि हुई है, जिसमें 162 लोगों की मौत हो चुकी है। यहाँ 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया और अब लॉकडाउन हटाने का चरण शुरू हो चुका है, बाजार खुलनी शुरू हो गई है।
वे बताते हैं कि लॉकडाउन की घोषणा और भारत के समाचारों के बाद यहाँ रह रहे भारतीय काफी पैनिक हो चुके थे, लोग भारत लौटने के लिए बेताब थे। इसी दौर में उन्होंने कर्मभूमि से मातृभूमि की ओर देखो के संदेश के साथ भारतीयों को एकजुट करना शुरू किया और इस मुसीबत की घड़ी में भारत सरकार की परेशानी न बढ़ाते हुए भारतीयों के बीच वेबिनार और डिजिटल सेमिनारों के माध्यम से डिप्रेशन को दूर करने का काम शुरू किया। उन्होंने भारतीय दूतावास के साथ मिलकर वीडियो काॅन्फ्रेंस के द्वारा लोगों को हड़बड़ाहट में भारत न लौटने पर राजी कर लिया, यही कारण है, कि अब भारतीय न केवल वहाँ सामान्य जीवन की ओर लौट रहे है, बल्कि विपुल के नेतृत्व में सेवाकार्य भी कर रहे है।
वे बताते हैं कि लॉकडाउन की घोषणा और भारत के समाचारों के बाद यहाँ रह रहे भारतीय काफी पैनिक हो चुके थे, लोग भारत लौटने के लिए बेताब थे। इसी दौर में उन्होंने कर्मभूमि से मातृभूमि की ओर देखो के संदेश के साथ भारतीयों को एकजुट करना शुरू किया और इस मुसीबत की घड़ी में भारत सरकार की परेशानी न बढ़ाते हुए भारतीयों के बीच वेबिनार और डिजिटल सेमिनारों के माध्यम से डिप्रेशन को दूर करने का काम शुरू किया। उन्होंने भारतीय दूतावास के साथ मिलकर वीडियो काॅन्फ्रेंस के द्वारा लोगों को हड़बड़ाहट में भारत न लौटने पर राजी कर लिया, यही कारण है, कि अब भारतीय न केवल वहाँ सामान्य जीवन की ओर लौट रहे है, बल्कि विपुल के नेतृत्व में सेवाकार्य भी कर रहे है।
रोजाना करा रहे 500 लोगों को भोजन, अबतब बांट चुके है 20 हजार कोराना किट व राशन पैकेट
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विपुल यहीं नहीं रूके, बल्कि लागोस के स्लम एरिया और गरीब तबके के लोगों को भोजन कराना शुरू किया, वो प्रतिदिन 500 लोगों को भोजन करा रहे है। विपुल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विदेश की इकाई हिन्दू स्वयंसेवक संघ के नाईजीरिया के संयुक्त संघचालक भी है। उन्होंने वहां के स्वयंसेवकों के साथ मिलकर कच्चा राशन पैकेट एवं कोराना किट तैयार कराया और लागोस और आसपास के राज्यों के स्लम एरिया में बाँटने का काम शुरू किया, अबतक उनके माध्यम से 20 हजार से ज्यादा जरूरतमंदो तक वो राहत पहुँचा चुके है।
आयुष मंत्रालय के दिशानिर्देशों का करा रहे अनुपालन
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विपुल बताते है, कि वो लोगों को भारत के आयुष मंत्रालय के द्वारा जारी दिशानिर्देशों के बारे में बताते हैं और उसका अनुपालन करवाते है। लोगों की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए वो योग, व्यायाम की नियमित सेशन का ऑनलाईन आयोजन कराते है। शोसल मीडिया के माध्यम से वो वहाँ के करीब 75 प्रतिशत भारतीयों से जुड़े है, लागोस में ही 100 से अधिक वोलंटियर उनके साथ जुड़े है, वो भारतीयो को हेल्पलाईन नम्बर के माध्यम से उचित सलाह और जानकारी भी उपलब्ध कराते है।
झारखण्ड के उत्पादों को देना चाहते है बाजार
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विपुल स्वयं आयात-निर्यात के व्यवसाय से जुड़े हैं। वो बताते हैं कि नाईजीरिया समेत अफ्रीकन देशों में भारतीय उत्पादों की काफी मांग है। भारतीय व्यापारियों की छवि भी इन देशों में काफी विश्वसनीय है। हाल के दिनों में प्रधानमंत्री मोदी जी ने जिस विशेष आर्थिक पैकेज के माध्यम से आत्मनिर्भर होने का संदेश दिया है, इस स्थिति में झारखंड में काफी संभावनाएं उत्पन्न होगी। लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर राज्य लौट रहे है। अगर उन्हें स्वरोजगार से जोड़कर उत्पादक बनाया जाए, तो वो झारखण्ड के उत्पादों को नाईजीरिया समेत अफ्रीकन देशों में बाजार उपलब्ध करा सकते है।
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