–रितेश कश्यप
झारखंड की राजधानी रांची में जमीन माफिया की हिम्मत
इतनी बढ़ चुकी है कि उन्हें अब ना तो प्रशासन का डर है और ना ही सरकार का। एक तरफ
झारखंड सरकार प्रवासी भारतीयों को झारखंड में निवेश करने को कहती है दूसरी ओर एक
प्रवासी भारतीय की जमीन को जमीन माफिया हड़पने की कोशिश में लगे हुए हैं। जमीन
माफिया पर प्राथमिकी दर्ज करने के बाद भी पिछले 2 महीने से पुलिस हाथ पर हाथ धरे
बैठी है। यह किसी बड़े अपराध को भी आमंत्रित कर रहा है, क्योंकि भूमि माफिया तो खुले
आम घूम रहे है।
कहते हैं, चोर के आगे ताला और बेइमान
के आगे केवाला का कोई महत्व नहीं होता।
नाइजीरिया में कार्यरत प्रवासी भारतीय (NRI) संजय कुमार ने अपनी जमीन पर भूमि माफिया के द्वारा जबरन हथियाने का प्रयास हो
रहा है। पीड़ित संजय कुमार पिछले 4 माह से जमीन को बचाने की गुहार सरकार
से लगा रहे। इस मामले में उन्होंने अनगड़ा थाना प्रभारी, अंचल अधिकारी, वरीय पुलिस अधीक्षक और उपायुक्त रांची से लेकर नाइजीरिया के भारतीय उच्चायोग
तक गुहार लगा चुके हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए नाइजीरिया के भारतीय
उच्चायोग ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव, डीजीपी झारखंड, भारत के विदेश मंत्रालय और रांची के उपायुक्त को पत्र लिखते
हुए संजय कुमार के जान माल की रक्षा करने का आग्रह किया है। इसके बाद रांची जिला
समाहरणालय ने भी संज्ञान लेते हुए वरीय पुलिस अधीक्षक को नियमसंगत करवाई के लिए
पत्र लिखा है। पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के यहाँ से भी 16 जून को आरोपियों के
गिरफ़्तारी का निर्देश हुआ है। मगर अब तक सिर्फ कागजी घोड़े ही दौडाए जा रहे हैं ।
इतनी प्रक्रिया होने के बाद भी पिछले 2 महीनों से पीड़ित संजय कुमार, थाना, अंचल
कार्यालय, निबंधन कार्यालय, कोर्ट और सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। इस बात से कोई भी ये
अंदाजा लगा सकता है की एक NRI के साथ इतनी परेशानी हो सकती है तो झारखण्ड के आम आदमी का
क्या होता होगा? झारखण्ड में निवेश करने वाले NRI का
विश्वास कैसे जीतेगी सरकार?
क्या है मामला?
प्रवासी भारतीय संजय कुमार ने 12 मई 2021 को रांची के
अनगड़ा थाना में कांड संख्या 35/21 के तहत भू माफियाओं के खिलाफ मामला दर्ज कराया था।
मामला अनगड़ा अंचल के अंतर्गत मौजा नारायण सोसो स्थित 51 डिसमिल जमीन का है। इस
जमीन को भूमि माफिया के द्वारा जालसाजी कर हड़प ली गई जिसमे जमीन का पूर्व मालिक
और जमीन दलाल शामिल है। अनगड़ा स्थित संजय कुमार ने भूमि विक्रेता अब्दुल रजाक से
51 डिसमिल जमीन जनवरी 2015 में एग्रीमेंट
कर सारा पैसा देकर, 4 जनवरी 2017 को भूमि निबंधन कार्यालय में सेल डीड के द्वारा रजिस्ट्री करवाया
था।
विदेश में काम करने के कारन जमीन खरीदगी के बाद
म्युटेशन और घेराबंदी का जिम्मा और पैसा जमीन दलाल और उस जमीन में पडोसी चुटिया
निवासी कुमार जीतेन्द्र जो एक मुर्गी व्यापारी भी है। उन्हें ही पैसे देकर संजय विदेश
चले गए। बाद में ये और विक्रेता परिवार का
एक व्यक्ति भूमि क्रेता संजय कुमार को तरह तरह की आपराधिक गतिविधि की कहानी से और
ज्यादा पैसे ऐठने के लिए फोन पर मानसिक दबाब बनाने लगे। पीड़ित संजय 2017 से हर साल
भारत आने पर वो अपने पुराने परिचित और जमीन दिलवाने वाले कुमार जीतेन्द्र से मिलते
और जमीन के बॉउंड्री म्युटेशन करवा देने का निवेदन करते, लेकिन कुमार जीतेन्द्र इससे टाल
मटोल करते रहते थे।
चार साल बीतने के बाद और बाउंड्री के लिए पैसे लेने
के बावजूद खरीदार संजय के जमीन का म्यूटेशन और नहीं काराया गया। चौकाने वाली बात
इस वर्ष मार्च में पीड़ित संजय को मिली की बॉउंड्री और म्युटेशन का पैसा लेने वाले
ठेकादर ने पुराने भूमि विक्रेता को गलत जानकारी देकर उस भूमि को दूसरी बार मार्च
2018 में खुद अपने नाम करवा लिया है, जबकि 4 जनवरी 2017 से जमीन का टाइटल संजय कुमार के पास है।
अंत में हारकर संजय कुमार ने मई 2021 में अपने पुराने परिचित, जमीन दलाल कुमार
जितेंद्र और भूमि विक्रेता अब्दुल रज्जाक अंसारी के परिवार को आरोपी बनाते हुए
अनगड़ा थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई।
इसकी कार्रवाई करते हुए उक्त लोगों
की गिरफ्तारी का आदेश निर्गत हुआ। मगर यह आदेश सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गए। 2
महीनों के बाद भी अब तक कुमार जितेंद्र और जमीन बेचने वाले अब्दुल रज्जाक अंसारी
पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
क्या कहते हैं थाना प्रभारी
थाना प्रभारी बृजेश कुमार से बात करने पर उन्होंने
कहा कि इन लोगों की गिरफ्तारी के लिए यह लोग जा चुके थे मगर वह लोग अपने घरों पर
नहीं मिले। थाना प्रभारी ने बताया कि इसके बाद उन लोगों ने कोर्ट से वारंट निकालने
का प्रयास किया है जैसे ही वारंट निकलेगा कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
हाईप्रोफाइल मामला होने के बाद भी रांची जिला प्रशासन
की सुस्ती लोगों के समझ के परे
एक तरफ झारखण्ड सरकार विदेशों में बसे झारखण्ड के
लोगों को झारखण्ड में निवेश करने के लिए प्रेरित करने का काम कर रही रही वहीँ
दूसरी ओर जो पहले से ही झारखण्ड में निवेश कर चुके हैं उनके संपत्तियों पर दलालों
की नजर लगी हुई है। ऐसे में झारखण्ड सरकार अपने प्रदेश में निवेश करने वाले
व्यापारी और NRI का विश्वास कैसे जीत पायेगी ये देखने वाली बात होगी ।
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