अनुच्छेद 370 रद्द होने पर पूरे देश के हिन्दुओं में आशा जगी, परंतु जिहादी आतंकवादियों ने आगे 22 आतंकवादी गतिविधियों द्वारा हिन्दुओं की हत्या की गई। वर्ष 1990 में कश्मीरी हिन्दुओं के किए गए वंशविच्छेद के समान आज भी ऐसा हो रहा है। ऐसे में हिन्दुओं का पुनर्वास कैसे होगा ? यह रोकने हेतु केंद्रशासन कानून बनाकर सर्वप्रथम यह स्वीकार करे कि ‘कश्मीर में हिन्दुओं का वंशविच्छेद हुआ है।’ हमने इस विषय में ‘पनून कश्मीर अत्याचार एवं नरसंहार निर्मूलन विधेयक 2020’ यह निजी विधेयक बनाया है । यह विधेयक पारित करने हेतु सभी सांसदों तथा प्रधानमंत्री को भेजा है । केंद्रशासन यह विधेयक पारित करे, इस उद्देश्य से देश के सभी हिन्दू संगठन तथा हिन्दू संगठित हों, ‘यूथ फॉर पनून कश्मीर’ के राष्ट्रीय संयोजक राहुुुल कौल ने ऐसा आवाहन शनिवार को किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा आयोजित ‘ऑनलाइन’ नवम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ में ‘अनुच्छेद 370 हटाने के उपरांत कश्मीर की वर्तमान स्थिति’ विषय पर बोल रहे थे । समिति के ‘यू-ट्यूब’ चैनल और ‘फेसबुक पेज’ से इस अधिवेशन का 39 हजार से अधिक लोगों ने सीधा प्रसारण देखा, जबकि 1 लाख 55 हजार से अधिक लोगों तक यह विषय पहुंचा ।
धर्मांतरण रोकने हेतु केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून बनाए ! – डॉ. नील माधव दास
‘पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत में हिन्दुओं का बढता धर्मांतरण तथा उसके उपाय’ इस विशेष परिसंवाद में मान्यवरों का सहभाग
झारखंड में ‘तरुण हिन्दू’ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. नील माधव दासजी ने परिसंवाद के अपने संबोधन में कहा, गरीब तथा पीडित हिन्दुओं के धर्मांतरण हेतु आज विदेशों से हजारों करोड रुपयों का निधि भारत में आता है । आर्थिक प्रलोभन के साथ नौकरी, शिक्षा, चिकित्सकीय सुविधा दी जाती है । साथ ही स्थानीय राज्य सरकार का समर्थन मिलने से हिन्दुओं का बडे स्तर पर धर्मांतरण शुरु है । ‘केंद्रशासन सर्वप्रथम धर्मांतरण हेतु विदेश से आनेवाले धन को रोककर राष्ट्रीय स्तर पर धर्मांतरण प्रतिबंधक कानून लागू करें’, ऐसी मांग भी डॉ. दास ने इस समय की । वे ‘पूर्व एवं पूर्वोत्तर भारत में हिन्दुओं का बढता धर्मांतरण तथा उसके उपाय’ इस विशेष परिसंवाद में बात कर रहे थे ।
इस समय त्रिपुरा स्थित शांती काली आश्रम के स्वामी चित्तरंजन महाराज ने बताया कि हिन्दुओं का धर्मांतरण रोकने हेतु वे अधिकाधिक शिक्षा संस्थाएं आरंभ करने हेतु प्रयत्नशील हैं, वहीं बंगाल की शास्त्र धर्म प्रचार सभा के डॉ. कौशिकचंद्र मल्लिक ने बंगाल में धर्मांतरण बंदी सहित घुसपैठ रोकने, नागरिकता सुधार कानून लागू करने और धर्मशिक्षा देने की आवश्यकता प्रतिपादित की । इस समय मेघालय की सामाजिक कार्यकर्ता इस्टर खरबामोन ने ‘मेघालय में हिन्दुओं को पाठशाला, चिकित्सालय, सरकारी नौकरी, निवास, विवाह, विदेश यात्रा आदि से वंचित रखा जाता है; परंतु अन्य धर्म के लोगों को ये सभी सुविधाएं बडी मात्रा में दी जाती हैं; इसलिए हिन्दू धर्मांतरण करते हैं’ ।
इस समय ‘अखिल भारतवर्षीय धर्मसंघ तथा स्वामी करपात्री फाउंडेशन’ के डॉ गुणप्रकाश चैतन्य तथा ‘राष्ट्रीय इतिहास संशोधन एवं तुलनात्मक अध्ययन केंद्र’ के अध्यक्ष नीरज अत्री ने भी ऑनलाइन संबोधित कर अपनी बात रखी।
सोर्स : हिन्दू जनजागृति समिति
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